प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी को कड़वी दवा बताने के उलट केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किसानों पर इसके बुरे असर की बात स्वीकार की है। मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट वित्तीय मामलों की स्थायी संसदीय समिति को सौंपी है।
मोदी सरकार द्वारा 8 नवंबर को अचानक की गई नोटबंदी के फैसले को अब 2 साल हो गए है। इस फैसले को विपक्ष दुर्भाग्यपूर्ण बताती है और सरकार इसे फायदेमंद। ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक कृषि मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में नोटबंदी को किसानों पर बुरा असर पड़ने वाला कदम बताया है। कृषि मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि किसानों पर नोटबंदी के इस अचानक फैसले का बहुत बुरा असर पड़ा है। कृषि मंत्रालय ने नोटबंदी के असर पर एक रिपोर्ट भी संसदीय समिति को सौंपी है।
संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली को बीते मंगलवार को कृषि मंत्रालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा नोटबंदी के प्रभावों के बारे में बताया गया।
वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसद की एक स्थायी समिति की बैठक में कृषि मंत्रालय ने माना है कि नगदी की कमी के चलते लाखों किसान, रबी सीजन में बुआई के लिए बीज-खाद नहीं खरीद पाए। जिसका उनपर काफी बुरा असर पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी जब लागू हुई तब किसान या तो अपनी खरीफ की पैदावार बेच रहे थे या फिर रबी फसलों की बुआई कर रहे थे। ऐसे समय में किसानों को पैसों की बेहद जरूरत होती है, पर उस समय कैश की किल्लत के चलते लाखों किसान बीज और खाद नहीं खरीद सके।
मंत्रालय ने बताया कि कैश की किल्लत के चलते राष्ट्रीय बीज निगम के लगभग 1 लाख 38 हजार क्विंटल गेहूं के बीज नहीं बिक पाए थे। हालांकि सरकार ने बाद में गेहूं के बीज खरीदने के लिए 1000 और 500 रुपए के पुराने नोटों के इस्तेमाल की छूट दे दी थी। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की इस छूट के बाद भी बीज के बिक्री में कोई खास तेजी नहीं आई थी।
इतना ही नहीं कृषि मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया कि छोटे स्तर पर खेती करने वालों के अतिरिक्त बड़े किसानों को भी खेती के कामों का मेहनताना देने में दिक्कतें आई क्योंकि नोटबंदी से नगदी की समस्या पैदा हो गयी थी।
बता दें कि इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोईली हैं। समिति के सदस्यों में चेयरमैन सहित कुल 31 सांसद हैं। सदस्यों में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भी शामिल हैं।
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