सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा, राफेल डील में ‘सीरियस फ्रॉड’

केंद्र सरकार ने वायु सेना के लिए 36 राफेल लड़ाकू विमान सौदे की कीमत का जो ब्योरा सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे थे, उस पर सुनवाई शुरू हो चुकी है। इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसके कौल एवं न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ कर रही है। अरुण शौरी ने सु्प्रीम कोर्ट में कहा, पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को राफेल डील के बारे में पता नहीं था। उन्होंने कहा था कि यह पीएम मोदी का फैसला है मैं इसका समर्थन करता हूं, किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया
राफेल मामले पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने वकील भूषण से कहा : हम आपको पूरी सुनवाई का मौका दे रहे हैं। इसका सावधानीपूर्वक इस्तेमाल कीजिये, केवल जरूरी चीजें ही कहिए ।
भूषण के बाद अब अरुण शौरी सुप्रीम कोर्ट में रखी दलील, कहा- डसॉल्ट कम्पनी आर्थिक रूप से कमजोर है
भूषण ने कहा, रिलायंस को भारत सरकार के इशारे पर अ़फसेट पार्टनर चुना गया, ये बात फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति हॉलैंड ने भी कहा है
भूषण ने कहा कहा कि प्राइस के खुलासे पर गोपनीयता से समझौता नहीं होता, सरकार ये प्राइस दो बार संसद में बता चुकी है
प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने ऑफसेट प्रावधान को 5 अगस्त 2015 को बदल दिया और डसॉल्ट को अफसेट पार्टनर चुनने का अधिकार दे दिया और बाद में यह कहने लगी कि हमें नहीं पता कि ऑफसेट पार्टनर कैसे चयनित हुआ, पुराने प्रावधान में यह पार्टनर सरकार की मर्जी से चुना जाता था। प्रशांत भूषण ने कहा, कानून मंत्रालय ने सप्लाई की गारंटी न होने पर आपत्ति की थी। सरकार ने टेंडर निकालने के बजाय अंतर सरकार अग्रीमेंट (IGA) क्यों किया।
याचिकाकर्ता आप नेता संजय सिंह के वकील ने कहा, सरकार ने पुरानी डील रद्द क्यों की
पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी की तरफ से कोर्ट में पेश हुए प्रशांत भूषण ने कहा, राफेल डील के फाइनल होने के सात दिन बाद अंबानी को ऑफसेट पार्टनर के रूप में ले लिया गया और हाल को बाहर कर मेक इन इंडिया को धता बता दी गई, ये किस आधार पर किया गया
याचिकाकर्ता शर्मा ने कहा कि अटॉनी जनरल को उनकी याचिका का पूरा जवाब देना चाहिए जबकि उन्होंने पूरे दस्तावेज मुहैया नहीं कराए हैं
याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा, मुझे दिए गए दस्तावेज के मुताबिक मई 2015 में बातचीत शुरू हुई थी, जबकि पीएम ने अप्रैल में घोषित कर दिया था कि सौदा हो गया है।
याचिकाकर्ताओं एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार ने फ्रांस से 36 विमानों की खरीद में ‘सीरियस फ्रॉड’ किया है।
इस मामले में आप नेता संजय सिंह की तरफ से पेश हुए वकील ने कोर्ट को कहा कि 36 राफेल विमान सौदे की कीमत दो बार सामने आई जबकि सरकार ने दलील दी है कि कीमत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है याचिकाकर्ताओं ने सौदे की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है। केंद्र सरकार ने सोमवार को राफेल विमान की खरीद प्रक्रिया में उठाए गए कदमों के विवरण संबंधी दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंपे थे। सरकार ने विमान की कीमतों का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा था। याचिकाकर्ता दस्तावेजों में दर्ज बातों पर अपनी दलील दे सकते हैं। इससे पहले, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक 36 राफेल विमानों की खरीद के संबंध में किये गए फैसले के ब्योरे वाले दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंप दिए। पीटीआई की खबर के मुताबिक दस्तावेजों के अनुसार राफेल विमानों की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है।
विमान के लिये रक्षा खरीद परिषद की मंजूरी ली गई और भारतीय दल ने फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत की। पीटीआई के मुताबिक दस्तावेजों में कहा गया है कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन एक साल चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर के सुनवाई को दौरान फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद पर केन्द्र सरकार से ब्योरा मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने एनडीए सरकार से कहा था कि वह 10 दिनों के भीतर राफेल लड़ाकू विमानों से जुड़े ब्यौरे बंद लिफाफे में सौपें। तब सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत से कहा था कि सरकार के लिए अदालत को कीमतों की जानकारी उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा क्योंकि यह जानकारी संसद को भी नहीं दी गई है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*