आरबीआई-केंद्र के झगड़े से आईएमएफ बेहद नाराज़, कहा बैंक की स्वायत्ता से खिलवाड़ न करे सरकार

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ नेमोदी सरकार को चेताया है कि रिजर्व बैंक के कामकाज में दखलंदाज़ी बंद करें,क्योंकि इससे अव्यवस्था के हालात बन सकते हैं। आईएमएफ ने यह बयान शुक्रवार को जारी किया।

रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच जारी तनातनी पर अंतर्राष्ट्री मुद्रा कोष ने गहरी नाराजगी जताई है। इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए आईएमएफ ने कहा है कि रिजर्व बैंक की स्वायत्ता से समझौता किसी के हक में नहीं होगा क्योंकि पूरी दुनिया में कहीं भी सरकारें केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता में दखल नहीं देती हैं।

आईएमएफ के कम्यूनिकेशन डायरेक्टर गैरी राइस ने कहा कि, “हम हालात पर नजर रख रहे हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार के इस मामले में अपने कदम पीछे खींचने चाहिए। उन्होंने बताया कि, “हम जिम्मेदारियों और जवाबदेही पर स्पष्टता चाहते हैं और इस व्यवस्था के पक्ष में हैं। अंतर्राष्ट्रीय कार्यशैली के मुताबिक केंद्रीय बैंक के कामकाज में सरकार या उद्योगों का कोई दखल नहीं होना चाहिए।”

जब भारत में केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के झगड़े पर उनसे खास सवाल किया गया तो राईस ने कहा कि, “सभी देशों में केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को बेहद महत्व दिया जाता है। हम ऐसी ही व्यवस्था चाहते हैं और यह बात हम कई देशों के संदर्भ में कह रहे हैं।”

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार की तनातनी पिछले शुक्रवार को उस समय सामने आई थी जब आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने एक भाषण में कहा था कि आरबीआई के कामकाज में सरकारी दखलंदाज़ी की जा रही है।

विरल आचार्य ने कहा था कि सरकारी दखलंदाज़ी से कैपिटल मार्केट में संकट आ सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि रिजर्व बैंक की शक्तियों में कटौती से बैंक के कामकाज पर बुरा असर पड़ेगा। आचार्य की टिप्पणी के बाद ही आरबीआई और सरकार की तनातनी खुलकर सामने आ गई थी। हालांकि इसके बाद हुई एफएसडीसी यानी आर्थिक स्थिरता और विकास परिषद की बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआई के गवर्नर का आमना-सामना हुआ था। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने एक सफाई जैसी विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि सरकार, रिजर्व बैंक की स्वायत्ता का सम्मान करती है और केंद्र और बैंक के बीच जनहित के मुद्दों पर राय-मशविरा होता रहता है।वित्त मंत्रालय का यह बयान तनातनी की आग में पानी के छींटे जैसा ही था, लेकिन इसके बाद जिस तरह एस गुरुमूर्ति के मूल संगठन और संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने दो टूक कहा कि आरबीआई गवर्नर सरकार के हिसाब से काम करें, या फिर इस्तीफा दे दें, इससे युद्ध विराम होता नजर नहीं आता।

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