स्टैच्यू ऑफ यूनिटी: 180 किमी/प्रति घंटे की हवाओं को झेल सकती है यह प्रतिमा, जानें इसके बारे में 15 खास बातें

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ रिकॉर्ड 33 महीने में बनकर तैयार हो गई है। दुनिया की इस सबसे ऊंची मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को करेंगे।
1.69 गांवों के किसानों ने मूर्ति के लिए लोहे का दान दिया। इसमें 135 मीट्रिक टन लोहे का दान मिला, जो इसमें इस्तेमाल हुआ है।
128 मीटर ऊंची स्प्रिंग टेंपल की बुद्ध प्रतिमा अब तक दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति थी।
11 साल के अथक प्रयास से बुद्ध की प्रतिमा बनी थीं, जबकि यह एक तिहाई समय में बना। 6.5 रिक्टर पैमाने पर आए भूकंप के झटकों में भी मूर्ति की स्थिरता बरकरार रहेगी।
180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को झेल सकती है।
1999 में पद्मश्री से सम्मानित सुतार ने मूर्ति को डिजाइन किया। इन्होंने 50 से अधिक स्मारकों का निर्माण किया है।
इन्होंने 1959 में स्थापित भखड़ा नांगल बांध के पास 50 फीट स्मारक भी बनाया। मूर्तिकार रामवनजी सुतार ने स्टैच्यु ऑफ यूनिटी के लिए कई डिजाइन बनाए थे। चयनित डिजाइन का प्रारूप बनाया गया, जिसकी ऊंचाई 30 फीट के करीब थी।
3.5 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बांध है।
153 मीटर की ऊंचाई तक जा सकेंगे पर्यटक 12 किमी दूरी तक देखा जा सकता है।
200 लोग एक साथ मूर्ति के ऊपरी तले में बनी गैलरी में आ सकते हैं।
इस मूर्ति के निर्माण कार्य पर हजार 989 करोड़ रुपये की लागत आई है। 18 हजार 500 टन स्टील नींव में और 6,500 टन स्टील मूर्ति के ढांचे में लगी।
17 सौ टन कांसे का इस्तेमाल मूर्ति में, जबकि 1,850 टन कांसा बाहरी हिस्से में लगा।
1 लाख 80 हजार टन सीमेंट कंक्रीट का इस्तेमाल निर्माण में किया गया।

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