वर्ल्‍ड मेंटल हेल्‍थ डे 2018 : मीठा खाकर दूर भगाइए दिमागी बीमारियों का खतरा

हमारे खाने-पीने की चीजों में कई ऐसे माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व पाए जाते हैं, जो तनाव और बेचैनी को कम करने में मददगार होते हैं। इसी वजह से कुछ चीजें खाने के बाद हमें खुशी का एहसास तो होता ही है, उन्हें बार-बार खाने की इच्छा भी होती है। शायद यही वजह है कि मीठा खाने के बाद हमें खुशी महसूस होती है। 10 अक्‍तूबर को वर्ल्‍ड मेंटल हेल्‍थ डे के मौके पर आइए जानते हैं क्यों मीठा खाने हमें मिलती है खुशी यह है वजह : मीठी और चीजें दिमाग के उस हिस्से को उत्तेजित करती हैं, जहां से खुश रहने वाले हॉर्मोंस का स्राव होता है। हालांकि, खुशी का एहसास दिलाने वाले हॉर्मोंस-एंडोर्फिंस, सेरोटोनिन, डोपामाइन और ऑक्सीटोन का असर बहुत थोड़े समय के लिए होता है। इसी वजह से मिठाई, चॉकलेट जैसी चीजें देखते ही मुंह में पानी आ जाता है। इन्हें खाकर लोगों को अच्छा महसूस होता है, पर यह खुशी मात्र कुछ सेकंड के लिए होती है। इसीलिए ऐसी चीजों से इंसान का जी नहीं भरता और इन्हें बार-बार खाने की इच्छा होती है। जिंक का जादू : जिंक एक ऐसा प्रमुख माइक्रोन्यूट्रिएंट तत्व है, जिसका सेवन अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। इसके अलावा यह तनाव और डिप्रेशन दूर करने में भी सहायक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जिंक हमारे मस्तिष्क में एंटीडिप्रेसेंट दवाओं की तरह काम करता है। यह दिमाग में मौजूद बीडीएनएफ (ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रॉफी फैक्टर) नामक प्रोटीन की मात्रा को संतुलित रखता है, जो याद्दाश्त बढ़ाने में मददगार होता है। जिंक की खूबी यह है कि अच्छी सेहत के लिए जरूरी है, पर शरीर की आंतरिक संरचना में इसे स्टोर करने की कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है। इसलिए हमें रोजाना कम से कम 8-11 मिलीग्राम जिंक मिलना चाहिए, जो आमतौर पर सामान्य डाइट से ही मिल जाता है। कैल्शियम की ताकत : कैल्शियम का सेवन हमारे शरीर के लिए ही नहीं है, बल्कि मन को खुश रखने में भी जरूरी होता है। कैल्शियम शरीर की मांसपेशियों और नसों को भी सुकून देता है। रक्त में मौजूद कैल्शियम कैलसिटोनिन नामक हॉर्मोन बनाता है, जो तनाव को नियंत्रित करने में मददगार होता है। इसके अलावा कैल्शियम युक्त चीजों में कुदरती तौर पर विटमिन डी पाया जाता है, जो हमें तनाव से बचाता है। हैप्‍पी हॉर्मोन का दोस्‍त मैग्नीशियम : मैग्नीशियम को हमारे शरीर में खुशी का एहसास कराने वाले हैप्‍पी हॉर्मोन सेरोटोनिन का दोस्‍त कहा जाता है। यह मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को भी दुरुस्त रखता है। यह तत्व मस्तिष्क में मौजूद सेरोटोनिन हॉर्मोन को टूटने नहीं देता। हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के एक शोध के मुताबिक, मैग्नीशियम डायबिटीज के खतरे को 33 प्रतिशत तक कम करता है। यह हमें डिप्रेशन व माइग्रेन जैसी समस्याओं से भी बचाता है। याद्दाश्त बढ़ाए ओमेगा-3 : मस्तिष्क का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा ओमेगा-3 फैटी एसिड से ही बना होता है। यह साइटोकिंस नामक तत्व का स्तर घटा कर तनाव को नियंत्रित करता है। इसके सेवन से याद्दाश्त मजबूत होती है।

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