पांच रणनीतियां जो कांग्रेस 2019 में मोदी और भाजपा से मुकाबले के लिए अपना रही है

कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने से रोकने और कुछ उपचुनावों में विपक्षी पार्टियों को मिली कामयाबी के बाद कांग्रेस उत्साह में दिख रही है. स्वाभाविक तौर पर उसका सबसे बड़ा लक्ष्य है अगले साल होने वाला आम चुनाव. इसके लिए पार्टी कई तरह से नरेंद्र मोदी और भाजपा की घेरेबंदी की तैयारी में जुट गई है.

सहयोगी दलों की संख्या बढ़ाना

सबसे पहली चीज जो कांग्रेस कर रही है, वह है अपने सहयोगी दलों की संख्या में विस्तार. कर्नाटक में चुनावों के बाद ही सही लेकिन उसे जनता दल सेकुलर के रूप में एक मजबूत सहयोगी पार्टी मिली. कर्नाटक में जिस तरह के राजनीतिक समीकरण हैं, उसमें अगर कांग्रेस और जेडीएस अगला लोकसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ें तो वे भाजपा के लिए इस दक्षिण भारतीय राज्य में काफी मुश्किलें पैदा कर सकते हैं.

पार्टी के एक सचिव बताते हैं, ‘कांग्रेस जिस संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का नेतृत्व कर रही है, हम उसका विस्तार करने पर लगातार काम कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बसपा गठबंधन को लेकर अभी थोड़ी और स्पष्टता की जरूरत है, लेकिन मुझे यकीन है कि यह गठबंधन हो जाएगा और संभवतः अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी भी मध्य प्रदेश में हमारे साथ आ जाए. ऐसे ही झारखंड में हमारा झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ समझौता पक्का हो गया है. हम इसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा को भी लाने की कोशिश कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में भी ऐसी कोशिशें चल रही हैं.’

सहयोगी दल आगे, कांग्रेस पीछे

कांग्रेस पार्टी की ओर से 2019 लोकसभा चुनावों की दूसरी तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर वे कहते हैं, ‘कर्नाटक में जेडीएस के नेता को कम सीटों के बावजूद मुख्यमंत्री बनाकर और केरल में अपने सहयोगी दल के नेता को राज्यसभा की सीट देकर हमारे अध्यक्ष राहुल गांधी ने सहयोगियों के बीच स्पष्ट संदेश दिया है कि जो भी हमारे साथ आएगा उसे पूरा सम्मान दिया जाएगा. भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सहयोगियों को न सम्मान मिल रहा है और न ही उनका हक. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश होगी कि हम न सिर्फ छोटे और क्षेत्रीय दलों को भाजपा के पाले में जाने से रोकें बल्कि ऐसी स्थिति पैदा करें कि एनडीए से भी निकलकर कुछ दल हमारे साथ आएं. कुछ दलों से हमारी बातचीत भी चल रही है.’

हालांकि राहुल गांधी के सहयोगी दलों के अधिक तवज्जो देने से कांग्रेस पार्टी के अंदर ही एक वर्ग में थोड़ी नाराजगी है. इसके बावजूद पार्टी नेताओं को यह लगता है कि राहुल गांधी ने यह रणनीति संभवतः इसलिए अपनाई है कि वे हर हाल में 2019 में नरेंद्र मोदी और भाजपा को रोकना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें सहयोगी दलों की बड़ी मांगें मान लेने में भी कोई हिचक नहीं है.

सेवा दल की सक्रियता

कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों से मुकाबला करने के लिए अपने बहुत पुराने संगठन सेवा दल को सक्रिय करना शुरू किया है. सेवा दल का विस्तार किया जा रहा है. इस बारे में कांग्रेस के एक राज्यसभा सांसद कहते हैं, ‘सेवा दल से जमीनी स्तर पर पार्टी को मदद मिलने की उम्मीद है. सेवा दल पहले भी देश के अधिकांश गांवों में सक्रिय रहा है लेकिन बीच में इसका काम एक तरह से बंद ही हो गया था. अगर फिर से इसमें जान आती है तो न सिर्फ नए कार्यकर्ता जुड़ेंगे बल्कि बड़ी संख्या में पुराने कार्यकर्ता फिर से सक्रिय हो जाएंगे.’

प्रोफेशनल कांग्रेस पर जोर

इन सांसद की मानें तो पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अखिल भारतीय प्रोफेशनल कांग्रेस को भी चुनावों के लिहाज से एक उपयोगी औजार मानते हैं. शशि थरूर की अगुवाई में बने इस संगठन के बारे में वे कहते हैं, ‘पार्टी अध्यक्ष समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं को यह लगता है कि जो पढ़ा-लिखा वर्ग मोदी सरकार की नीतियों से नाराज है, उसे इस संगठन के जरिए कांग्रेस से जोड़ा जा सकता है. यही वह वर्ग है जो सोशल मीडिया से लेकर हर जगह मुखर है और कम मुखर लोगों की राय को काफी प्रभावित करता है. इसलिए पार्टी इसकी गतिविधियों में और तेजी लाने की योजना पर काम कर रही है.’

प्रचार तंत्र की मजबूती

कांग्रेस सोशल मीडिया पर प्रचार के मोर्चे पर भी इस बार ज्यादा सजग दिख रही है. पार्टी की प्रचार टीम में शामिल एक पेशेवर बताते हैं, ‘दिव्या स्पंदना के आने से प्रचार टीम में एक नई जान आई है. पहले बहुत सारी चीजों को लेकर कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रचार टीम परहेज करती थी. लेकिन अब हम लोगों ने भाजपा का जवाब उसी की शैली में देना शुरू किया है. अब हम जो चीजें सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं, उसे भी लोग खूब पसंद कर रहे हैं. इसकी वजह हमारी रणनीति के साथ यह भी है कि अब लोग मोदी सरकार से नाराज हो रहे हैं और मोदी विरोधी चीजें कहना-सुनना चाह रहे हैं. यह स्थिति दो साल पहले तक नहीं थी. पार्टी को लगता है कि सोशल मीडिया पर अगर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनता है या मोदी विरोधी माहौल बनता है तो इसका फायदा कांग्रेस को अगले लोकसभा चुनावों में हो सकता है.’ उनके मुताबिक कांग्रेस की प्रचार टीम में काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है और आने वाले दिनों में इसमें और पेशेवर लोग जोड़े जाएंगे.

 

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