अगर 2019 के चुनाव में 100 सीटों पर सिमट गई बीजेपी तो क्या रूस, अमेरिका या दुबई से मंगाएगी सांसद: शिवसेना

शिवसेना ने जोर देकर कहा कि संसद में कम सीट होने और कई राज्यों में सत्ता गंवाने के बावजूद कांग्रेस अब भी राष्ट्रीय स्वीकार्यता वाली पार्टी है और इसके बिना विपक्षी एकता संभव नहीं है। सभी विपक्षी दल कुल मिलाकर क्षेत्रीय ताकत ही हैं, जबकि कांग्रेस अभी भी ‘राष्ट्रीय ताकत’ बनी हुई है।

शिवसेना ने सोमवार को अपने मुखपत्र ‘सामना’ व ‘दोपहर का सामना’ के संपादकीय में बीजेपी पर तंज करते हुए कहा कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 100 सीटों पर सिमट गई तो क्या पार्टी ब्लादिमीर पुतिन या डोनाल्ड ट्रंप या यूएई से अपने सांसद मंगाएगी?”साथ ही शिवसेना ने जोर देकर कहा कि संसद में कम सीट होने और कई राज्यों में सत्ता गंवाने के बावजूद कांग्रेस अब भी राष्ट्रीय स्वीकार्यता वाली पार्टी है और इसके बिना विपक्षी एकता संभव नहीं है। 2019 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता के प्रयासों पर टिप्पणी करते हुए शिवसेना ने कहा कि सभी विपक्षी दल कुल मिलाकर क्षेत्रीय ताकत ही हैं, जबकि कांग्रेस अभी भी ‘राष्ट्रीय ताकत’ बनी हुई है।पार्टी ने आगे कहा, “विपक्षी दल राहुल गांधी द्वारा गुजरात और कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के अंदर पैदा किए गए डर को दरकिनार नहीं कर सकते। लेकिन सभी विपक्षी दल अभी भी असमंजस में हैं कि राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार करें या ना करें।”शिवसेना ने चेतावनी देते हुए कहा, “शक्तिशाली लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विपक्ष की जरूरत होती है। लोकतंत्र के हित में, विपक्षी पार्टियों को जल्द से जल्द राहुल गांधी को स्वीकार करना चाहिए जिन्होंने बीजेपी को डराया था।

मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य के बारे में शिवसेना ने कहा कि बीजेपी की सफलता का मंत्र है कि इसे संसद में बहुमत प्राप्त है, इसके पास बहुत सारा धन है, जिससे वह कुछ भी ‘खरीद’ सकती है और इस सबके साथ विपक्ष में बिखराव तो है ही। इसके अलावा बीजेपी को सत्ता प्राप्त करने के लिए विपक्षियों को तोड़ने वाले पार्टी के रूप में भी जाना जाता है।शिवसेना ने कहा, “इन सबके बावजूद, बीजेपी की असफलता स्पष्ट है और लोगों में काफी गुस्सा है। गठबंधन के सभी साथियों ने इसे छोड़ दिया है और बीजेपी को यह समझ में आया है कि केवल क्षेत्रीय पार्टियां ही 2019 लोकसभा चुनाव में उसकी नैया पार लगा सकती हैं।”शिवसेना ने आश्चर्य जताते हुए कहा, “पिछले चार वर्षो में भारत के लोग बीजेपी के खिलाफ हुए हैं लेकिन इसने पुतिन और ट्रंप से दोस्ती सुनिश्चित की है। लेकिन इससे चुनाव में कैसे फायदा होगा।”सौजन्य : नवजीवन

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