गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी: चीनी उद्योग के लिए राहत पैकेज मंजूर

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चीनी उद्योग के लिए राहत पैकेज को मंजूरी दे दी है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने मंगलवार को कहा था कि सरकार जल्द ही चीनी उद्योग के लिए 8,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित करेगी। जिससे नकदी संकट से जूझ रही चीनी मिलों को किसानों के गन्ने का लगभग 22,000 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान करने में मदद मिल सके।
देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के कैराना संसदीय क्षेत्र में बीजेपी के लोकसभा चुनाव हारने के कुछ ही दिन बाद इस राहत पैकेज को तैयार किया गया है। हालांकि पासवान ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि हाल के उप-चुनावों में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी को मिली हार को देखते हुये यह पैकेज लाया गया है।
वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में अब तक 3.16 करोड़ टन से अधिक रिकॉर्ड चीनी उत्पादन होने के बाद चीनी कीमतों में तेज गिरावट की वजह से मिलों की वित्तीय हालत खराब हुई है जिसके कारण इस राहत पैकेज को तैयार किया गया है। चीनी मिलों के लिये प्रस्तावित राहत पैकेज में 8,000 करोड़ रुपये के पैकेज में 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाना, नई एथनॉल क्षमता के विस्तार और निर्माण के लिए चीनी मिलों के 4,500 करोड़ रुपये के ऋण पर ब्याज सब्सिडी देने सहित अन्य उपाय शामिल है।
पिछले महीने ही सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 1500 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी की घोषणा की थी ताकि चीनी मिलों को गन्ना किसानों को भुगतान करने में मदद हो सके। वर्तमान में, चीनी की औसत मिल गेट कीमत 25.60 से 26.22 रुपये प्रति किलो के दायरे में है , जो उनकी उत्पादन की लागत से कम मानी जा रही है। देश में रिकार्ड चीनी उत्पादन को देखते हुये केंद्र सरकार ने चीनी आयात शुल्क को पहले ही दोगुना कर 100 फीसदी कर दिया है और निर्यात को बढ़ावा देने के लिये चीनी निर्यात शुल्क को समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने चीनी मिलों से 20 लाख टन चीनी निर्यात करने को भी कहा है।

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