विश्व पर्यावरण दिवस: शायद हमारी आगे की पीढ़ियों को नसीब ही न हों ये चीजें

आज यानी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। इस बार भारत इस की मेजबानी कर रहा है। इस साल की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं’ हैं। आज के दिन लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है। आज जिस गति से मनुष्य तेल, गैस, पानी आदि का उपयोग कर रहा है शायद ही हमारी आगे की पीढ़ी इन चीजों का उपयोग कर पाएगी। यह हो सकता है कुछ समय बाद यह घरती ही न रहें।
जिस तरह मनुष्य प्रकृति का दोहन कर रहा है उससे हर साल पानी का स्तर 3.2 प्रतिशत घट रहा है। जलस्त्रोत सूखते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2050 तक पानी की मांग मुकाबले 55% ज्यादा हो जाएगी। 3400 लीटर पानी औसतन प्रति दिन एक व्यक्ति दुनिया में इस्तेमाल करता है। वहीं एक अमेरिकी नागरित औसतन 6800 लीटर पानी प्रति दिन में इस्तेमाल करता है। जबकि यमन में सबसे कम 1700 लीटर प्रति व्यक्ति की खपत है।
भारत में सबसे ज्यादा खनन रेत बजरी का हो रहा है। वहीं कीटनाशक और खाद के उपयोग से हर साल करीब 5334 लाख टन मिट्टी खत्म हो रही है। एक सेंटीमीटर मिट्टी की परत बनने में एक हजार साल लगते हैं। 150 साल में ऊपरी परत खत्म हो गई है। जिस गति से बन रही है उससे सौ गुना तेजी से हम खत्म कर रहे हैं। भारत में हर साल करो़डों पेड़ अपने स्वार्थ के लिए काट दिए जाते हैं। यहां तक की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में केवल 34 फीसदी जंगल ही बचे हैं। दुनिया में हर साल इस्तेमाल किए जाने वाले ट़ॉयलेट पेपर की लंबाई सूरज तक की दूरी का दोगुना है। दुनिया में हर मिनट 20 फुटबॉल मैदान के आकार के जंगल को काटा जा रहा है।
एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रति हजार लोग रोज 420 लीटर पेट्रोल का उपयोग कर रहे हैं। हर व्यक्ति 15 लीटर प्रति माह तेल खपत कर रहा है।
धरती के पास अब सिर्फ 53 साल का ऑइल रिजर्व ही बचा हुआ है।
बीपी स्टेटिस्टिकल रिव्यू ऑफ वर्ल्ड एनर्जी रिपोर्ट 2016 के अनुसार फिलहाल दुनिया में तेजी से गैस भंडार का इस्तेमाल हो रहा है। अगर यही क्रम जारी रहा, तो प्राकृतिक गैस के भंडार 52 वर्षों में खत्म हो जाएंगे।

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