देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी लगातार 15वें दिन जारी रही. इसके चलते सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल 78.27 रुपये प्रति लीटर हो गया है. देश के दूसरे बड़े शहरों की बात करें तो मुंबई में यह 86.08, कोलकाता में 80.76 और चेन्नई में 81.11 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. वहीं, डीजल की बात करें तो दिल्ली में यह जल्दी ही 70 रुपये प्रति लीटर के पार हो जाएगा. फिलहाल यह 69.17 रुपये प्रति लीटर की कीमत पर मिल रहा है. मुंबई में डीजल 73.64 रुपये प्रतिलीटर के हिसाब से मिल रहा है.
पिछले हफ्ते केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि सरकार जल्द ही तेल के बढ़ते दामों का समाधान निकालेगी. उन्होंने कहा था कि तेल निर्यात करने वाले देशों (ओपीईसी) के कम उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने की वजह से पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. प्रधान यह भी कहते रहे हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु व सेवा कर के तहत लाने पर विचार कर रहे हैं ताकि उनकी कीमत कम हो सके.
लेकिन सरकार के सूत्रों से मिल रही जानकारी ग्राहकों को निराश कर सकती है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक फिलहाल सरकार तेल के दामों में एक्साइज ड्यूटी जैसे शुल्क कम करने के मूड में नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा करने से सरकार की आमदनी पर असर पड़ेगा और कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड की कमी हो जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक सरकार उम्मीद लगा रही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम घटेंगे जिससे ग्राहकों को राहत मिलेगी. बीते दो दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों में प्रति बैरल दो डॉलर की कमी आई है. ओपीईसी और उसके समर्थक देशों की तरफ से यह संकेत मिला है कि वे तेल उत्पादन में कटौती से संबंधित समझौते को रोकने पर सहमत हो सकते हैं. यही वजह है कि तेल के अंतरराष्ट्रीय दामों में गिरावट देखने को मिली है. हालांकि इससे भारत के पेट्रोल-डीजल ग्राहकों को राहत नहीं मिली है.
रिपोर्ट के मुताबिक इसकी एक वजह यह है कि कर्नाटक चुनाव होने के बाद सरकार पर से तेल के दाम तुरंत कम करने का दबाव हट गया है. अब अगले विधानसभा चुनाव (राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) नवंबर में होंगे. यानी तेल के दाम ठीक करने के लिए सरकार के पास काफी समय है. फिलहाल सरकार इसे लेकर सख्त रुख अपनाए रखेगी. यानी तेल के दाम कम नहीं होने वाले. इसे लेकर भाजपा के एक शीर्ष नेता ने कहा, ‘यह कोई अच्छी स्थिति तो नहीं है लेकिन हम इसका सामना करेंगे. अर्थव्यवस्था के हित और सरकार की आमदनी को ध्यान में रखते हुए कभी-कभी कड़े फैसले लेने पड़ते हैं.’
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