राहुल गांधी ने फ्लैशनेट घोटाला में पीयूष गोयल के इस्तीफे की मांग, कहा, लालच और धोखाधड़ी को दर्शाता है

पीयूष गोयल और उनकी पत्नी ने 5 लाख का निवेश एक कंपनी में किया था और उसे 48 करोड़ रुपये में बेच दिया। ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाले पीरामल समूह को जब गोयल ने अपने शेयर बेचे उस वक्त वे ऊर्जा मंत्री थे।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल पर एक निजी कंपनी को अंकित मूल्य से करीब 1 हजार गुना मूल्य पर शेयरों को बेचने को लेकर ट्वीट करते हुए निशाना साधा है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट किया, “पीयूष गोयल का 48 करोड़ रुपये का फ्लैशनेट घोटाला लालच, धोखाधड़ी और हितों के टकराव को दर्शाता है। साक्ष्य सामने मौजूद हैं, लेकिन मीडिया इस खबर को चलाने और दिखाने से कतरा रही है।” राहुल गांधी ने आगे कहा, “मीडिया इस खबर को तरजीह नहीं देगा। यह हमारे देश की त्रासदी है कि जिन पत्रकारों को सच्चाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे कुछ नहीं बोलेंगे, गोयल को इस्तीफा देना चाहिए।”

चार्ट्ड एकांउटेंट और बीजेपी के पूर्व कोषाध्यक्ष पीयूष गोयल को लेकर कुछ हफ्ते पहले ही खबर आई थी कि वे और उनकी पत्नी ने एक कंपनी में 1 लाख रुपए का निवेश किया और 10 साल के भीतर वह 30 करोड़ रुपये हो गया। इसके बाद एक खबर और आई, जिसके अनुसार गोयल और उनकी पत्नी ने वर्ष 2000 में 5 लाख का निवेश एक कंपनी में किया था और 2014 में उसे 48 करोड़ रुपये में बेच दिया।

‘द वायर’ की रिपोर्ट कहती है:

1. गोयल और उनकी पत्नी ने वर्ष 2000 फ्लैशनेट इंफो सॉल्यूशन (प्राइवेट) लिमिटेड की शुरुआत 50,070 शेयर के साथ की थी और हर शेयर की कीमत 10 रुपये थी।

2. गोयल और उनकी पत्नी के पास 99.9 फीसदी शेयर थे।

3. सितंबर, 2014 में पीरामल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को 1000 फीसदी प्रीमियम पर शेयर बेचे गए।

4. गोयल ने 2010 में फ्लैशनेट में अपने हिस्से को दिखाया, लेकिन 2014, 2015 और 2016 में पीएमओ को सौंपे गए अपने संपति के ब्यौरे में उन्होंने इसका जिक्र नहीं किया।

5. मई, 2014 में गोयल के केंद्रीय मंत्री बनने के 4 महीने बाद शेयर बेचे गए, लेकिन उन्होंने जुलाई, 2014 में पीएमओ को दिए ब्यौरे में इसका जिक्र नहीं किया।

6. बाद के वर्षों में दिए अपने वक्तव्य में भी फ्लैशनेट के शेयर बेचकर मिले पैसे का गोयल परिवार ने ब्यौरा नहीं दिया।

7. 2014 और 2015 दोनों में उनकी उद्घोषणा में दावा किया गया कि उनकी ‘गैर-उद्धृत सिक्यूरिटी’ का मूल्य उतना ही था यानी 101,300 रुपये।

8. जबकि उनकी पत्नी के पास मौजूद गैर-उद्धृत सिक्यूरिटी का मूल्य 2016 में 33 करोड़ रुपये दिखाया गया।

‘द वायर’ की रिपोर्ट ने नैतिकता और हितों के टकराव को लेकर सवाल उठाए हैं, क्योंकि पीरामल समूह का व्यापार ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में फैला था और गोयल ने जब अपने शेयर पीरामल को बेचे, उस वक्त उनके पास केन्द्रीय मंत्री की हैसियत से उर्जा मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार था।

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