जज विवाद गहराया, 100 वकीलों ने की इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति पर रोक की मांग, CJI का इनकार

केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद जस्टिस के एम जोसेफ का नाम लौटाने और इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए जाने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन से जुड़े करीब 100 वकीलों ने दस्तखत कर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी कि तुरंत इस मामले पर सुनवाई हो और इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति पर रोक लगाई जाय। पूर्व सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जय सिंह ने इस मामले की पैरवी सुप्रीम कोर्ट में की लेकिन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अदालत ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मामले में पैरवी करते हुए इंदिरा जय सिंह ने कहा कि उनका मकसद इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति को रोकना या टालना नहीं है बल्कि जस्टिस जोसेफ के मामले में केंद्र सरकार के कदम से न्यायपालिका को बांटने की कोशिश से रोकना है। इससे पहले कानून मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि जस्टिस जोसेफ को प्रोन्नति देने का यह सही समय नहीं है। सूत्रों के मुताबिक ऑल इंडिया हाई कोर्ट जस्टिस की लिस्ट में जस्टिस जोसेफ का वरिष्ठता क्रम 42वां है। इसके अलावा हाई कोर्ट के अन्य 11 चीफ जस्टिस भी उनसे सीनियरिटी लिस्ट में आगे हैं।

बता दें कि इस साल की शुरुआत में 10 जनवरी को पांच जजों की कॉलेजियम ने उत्तरखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ और सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने के लिए सिफारिश की थी। कॉलेजियम की सिफारिश पर जब कानून मंत्रालय ने कोई पहल नहीं की तब फिर से कॉलेजियम ने फरवरी के पहले हफ्ते में कानून मंत्रालय को लिखा। इसके बाद कानून मंत्रालय ने प्रक्रिया शुरू की और सिर्फ इंदु मल्होत्रा की फाइल की आईबी जांच पूरी करवाई। केंद्र ने कॉलेजियम को जस्टिस जोसेफ के नाम पर दोबारा विचार करने का अनुरोध करते हुए फाइल फिर से सुप्रीम कोर्ट भेज दी।

कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने जस्टिस जोसेफ को प्रोन्नति नहीं देने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और पूछा है कि क्या राज्य, धर्म या उत्तराखंड केस में फैसले की वजह से जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट नहीं लाया जा रहा है? इधर, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर हमला बोला है और कहा है कि कांग्रेस को न्यायपालिका की संप्रभुता पर सवाल पूछने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से न्यायपालिका के साथ बुरा बर्ताव किया है। इस वजह से न्यायपालिका को समझौते करने पड़े हैं। उन्होंने कहा कि इसके कई उदाहरण भरे पड़े हैं।

 

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