प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लंदन में सड़कों पर प्रदर्शनों का मुश्किल सामना करना पड़ा

लंदन में चक्कर काट रही डिजिटल वैन पर कठुआ, उन्नाव से लेकर लिंचिंग से जुड़े पोस्टरों पर लिखा है – मोदी नॉट वेलकम।
एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्रिटेन में स्वागत समारोह चल रहा है और दूसरी तरफ लंदन में बसे भारतीय उनसे मुश्किल सवाल पूछ रहे हैं। ये सवाल पूरे लंदन की सड़कों पर चक्कर काट रहे हैं। मोदी नॉट वेलकम (मोदी का स्वागत नहीं) हैशटैग से जो सोशल मीडिया पर गुस्सा फूट रहा है, उसे लेकर लंदन की सड़कों पर डिजीटल वैन भी दौड़ रही हैं। इन डिजिटल वैनों पर जो संदेश लिखा हुआ है वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी की भूमिका पर न सिर्फ सवाल उठाने वाले हैं, बल्कि उन्हें कठघरे में खड़े करते हैं।पूरे लंदन में जो वैन घूम रही है, उनमें से एक में हैशटेग जस्टिस फॉर आसिफा लिखा है और उसमें जम्मू की आठ साल की आसिफा के साथ हुई दरिंदगी का तो जिक्र है ही, साथ ही यह भी बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी के नेताओं ने बलात्कारियों के पक्ष में आंदोलन किया था।

इसी तरह से एक स्क्रीन पर यह बताया जा रहा है कि लंदन में रहने वाले भारतीय क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा का विरोध कर रहे है? इसमें जवाब के तौर पर लिखा है क्योंकि वह फासिस्ट हैं और हिटलर को पसंद करते हैं, वे लिंचिंग भीड़ को प्रश्रय देते हैं जो मुसलमानों को मारती है और बलात्कारियों का बचाव करते हैं। जाति के समर्थक हैं और दलितों की हत्या के समर्थक हैं।

इस तरह के तमाम पोस्टरों को लेकर डिजिटल वैन आज शाम को लंदन की डाउनिंग स्ट्रीट में होने वाले प्रदर्शन के पक्ष में माहौल बना रही हैं। इस बीच 50 से करीब महिला बुद्धिजीवियों और लेखिकाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है, जिसमें भारत में महिलाओं और बच्चियों के ऊपर हो रही यौन हिंसा पर चिंता जाहिर की गई है। इस पत्र में कहा गया है कि जिस तरह से बीजेपी और उसके विधायकों ने बलात्कारियों का पक्ष लिया है, वह शर्मनाक है। इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सराह ग्रीन (एंड व्यालेंस अगेंस्ट वुमन कोलिशन), विवियेन हेस (वुमन रिसोर्स सेंटर), मराई लारसी (इमकॉम), अमृत विल्सन (लेखक), प्रो. नीरा युवाल डेविस (यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन) सहित 50 से अधिक लोग हैं।

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