गैंगरेप: 50 नौकरशाहों के ग्रुप ने खुली चिट्ठी लिखकर मोदी को ठहराया जिम्मेदार, कहा- आजादी के बाद सबसे अंधकारमय वक्त

देश के हर कोने में कठुआ और उन्नाव गैंगरेप केस को लेकर देश की जनता में उबाल देखने को मिल रहा है। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक लोगों ने गैंगरेप को लेकर नाराजगी जताई और लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं है। इस बीच 50 रिटायर नौकरशाहों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुली चिट्ठी लिखी है। रविवार (15 अप्रैल) को सेवानिवृत्त सिविल सेवा अधिकारियों के समूह ने इसमें देश की आतंकित करने वाली स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। चिट्ठी में सख्त लहजे में सरकार की आलोचना करते हुए कहा गया कि यह हमारा सबसे अंधकारमय दौर है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को इन मामलों की ‘भयावह स्थिति’ के लिए जिम्मेदार ठहराया है और केंद्र सरकार व राजनीतिक पार्टियां इससे निपटने में विफल साबित हुई हैं।

चिट्ठी में कहा गया कि नागरिक सेवाओं से जुड़े युवा साथी भी लगता है कि अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने में विफल साबित हुए हैं। पूर्व नौकरशाहों ने इसी के साथ पीएम से अपील की है कि वह कठुआ और उन्नाव में पीड़ित परिवारों से माफी मांगें, फास्ट ट्रैक जांच कराएं और इन मामलों को लेकर सभी दलों की एक बैठक बुलाएं।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गैंगरेप के दो मामलों ने देश को दहला दिया है। यूपी में लगभग हफ्ते भर पहले एक महिला ने सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर खुदकुशी का प्रयास किया था। आरोप था कि बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने उससे रेप किया। मामले पर भारी विरोध और गहमा-गहमी के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया, जिसके बाद आरोपी विधायक गिरफ्तार किया गया।

उधर, कठुआ में आठ साल की मासूम को पहले अगवा किया गया था। फिर आरोपियों ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया और बाद में मौत के घाट उतार दिया था। इन दोनों ही मामलों की लपटें कम भी नहीं हुई थीं कि गुजरात से एक नाबालिग बच्ची की लाश मिलने की खबर आई। नौ साल की मासूम के शरीर पर चोटों के तकरीबन 100 निशान थे। पीएम ने इससे पहले इन मामलों पर शुक्रवार (13 अप्रैल) को चुप्पी तोड़ी थी और कहा था, “कोई भी अपराधी बख्शा नहीं जाएगा। न्याय होगा और बेटियों को इंसाफ मिलेगा।”

 

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