डोकलाम विवाद के बाद का असर , चीन सीमा पर सेना ने शुरू किया ऑपरेशन ‘गगन शक्ति’

डोकलाम विवाद के बाद चीन सीमा पर भारतीय सेना की सक्रियता बढ़ गयी है। इसी का असर है कि उत्तराखंड में चीन से लगी सीमा पर भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन ‘गगन शक्ति’ की शुरुआत की है। इसकी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सेना की ओर से 17-18 अप्रैल को उत्तरकाशी जिले की चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर अभ्यास किया जाएगा। बताया जा रहा है कि उत्तराखंड में चीन सीमा पर यह अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास होगा। इसे टू फ्रंट वार की तैयारी का हिस्सा भी माना जा रहा है।
डोकलाम विवाद के बाद चीन ने जिस तरह भारत की सीमाओं पर सेना को सक्रिय किया है, उसी तरह भारतीय वायु सेना भी उत्तराखंड पर विशेष फोकस कर रही है। इस तैयारी को भी इसी का हिस्सा माना जा रहा है। डोकलाम विवाद के बाद पिछले अक्तूबर से अब तक वायुसेना के अधिकारी चार बार चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का निरीक्षण कर चुके हैं। फरवरी में एएन 32 विमान से टेक ऑफ और लैंडिंग भी कराई गई। पूर्व में वायुसेना हरक्यूलिस विमान से भी हवाई पट्टी का परीक्षण कर चुकी है। अब चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर ऑपरेशन ‘गगन शक्ति’ के तहत अभ्यास होना है। अभ्यास में सेना लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, माल वाहक जहाज से भी अभ्यास करेगी।
हवाई निर्माण कार्य देख रहे प्रोजेक्टर मैनेजर इंजीनियर घनश्याम सिंह ने बताया कि अभ्यास में वायु सेना भाग लेगी। शनिवार और रविवार को हर्षिल व चिन्यालसीसौड़ हेलीपैड का भी सेना ने परीक्षण किया। वहीं जिला प्रशासन ने सैन्य अभ्यास को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी सैन्य अभ्यास के दौरान यहां तैनात किए जाएंगे।
भारत चीन सीमा की सरहद से लगी चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर अभी तक कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। हवाई पट्टी की कमियों को लेकर परीक्षण करने पहुंचे सैन्य अधिकारी कई बार कार्यदायी संस्था व जिला प्रशासन को निर्देश दे चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी हवाई पट्टी की लम्बाई का शेष बचा भाग 335 मीटर का कार्य नहीं हो पाया है। मानकों के अनुसार बड़े जहाजों के लिए 1500 मीटर लम्बे रनवे की आवश्यकता है। वहीं चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी 1165 मीटर रनवे का ही निर्माण हो पाया है। वहीं इस हवाई पट्टी की चौड़ाई की बात करें तो ड्रोन को उड़ने के लिए हवाई पट्टी की चौड़ाई 50 मीटर होनी चाहिए, जबकि वर्तमान में चौड़ाई मात्र 30 मीटर ही है।

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